Diwali ka Rakshash Horror Stories In Hindi |

:- आपको सबसे पहले पता चले दिवाली का राक्षस दिवाली का त्यौहार हम सभी बहुत धूमधाम से मनाते हैं दिवाली के आने से हफ्तों पहले ही बाजारों में भीड़ और मानो हवा में एक अजीब सी खुशी हो जाती है पर दिवाली की रात पूरे साल की सबसे बड़ी अमावस की रात भी होती है ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रात भूत और प्रेतों की शक्तियां बहुत बढ़ जाती हैं हमारी आज की कहानी ऐसी ही एक अंधेरी काली दिवाली की रात के बारे में है जतन ऋषि और ईशान बचपन से ही गहरे दोस्त थे साथ में पले बड़े वह तीनों दोस्त एक दूसरे के जिगरी थे और हमेशा साथ ही घूमते थे पर जब ऋषि और उसकी फैमिली ने इंडिया से बाहर सेटल होने का डिसाइड किया तो यह उन तीनों के लिए मानो आखिरी दिवाली थी जो वह साथ में मनाने वाले थे दिवाली के जस्ट बाद ऋषि अपनी फैमिली के साथ वह शहर हमेशा हमेशा के लिए छोड़कर जाने वाला था तीनों ही चाहते थे कि यह दिवाली उनके लिए यादगार रहे दिवाली की पूजा के बाद जतिन ऋषि और ईशान एक ही स्कूटी पर ट्रिपलिंग करते हुए घूमने निकल गए उनको क्या पता था कि उनकी य राइड उन्हें एक ऐसी जगह पहुंचा देगी जहां किसी भी इंसान को नहीं जाना चाहिए था कुछ दूर जाकर एक खाली सी जगह पर ऋषि ने स्कूटी रोकी और स्कूटी की डिग्गी में से बहुत सारे पटाखे निकाले उसी रोड पर थोड़ी ही दूरी पर एक पुराना सा मंदिर भी था लेकिन उस मंदिर में सब कुछ खंडरई उस मंदिर के अंदर एक कमरा था जो अभी भी बिल्कुल सही सलामत दिख रहा था उस कमरे का दरवाजा बिल्कुल पुराने जमाने का था और उस पर एक बड़ा सा तारा था जिस पर लाल रंग के धागे बंधे हुए थे ऋषि ने एकएक करके पटाखे जलाना शुरू कर दिया और तभी ईशान ने एक रॉकेट लिया और दो पत्थरों के बीच में खड़ा करके उसे जला दिया रॉकेट में आग लगते ही रॉकेट प्रेशर से नीचे गिर गया और सीधा उस खंडरई मंदिर के अंदर जाकर फड़ गया एक बहुत ही जोर के धमाके की आवाज आई पर क्योंकि वह मंदिर पहले से ही ंडर था तो उन लड़कों ने उस धमाके की ज्यादा परवाह नहीं की और अपनी मस्ती में दूसरे पटाखे जलाने लगे पर तभी कुछ ही पलों बाद वहां तेज हवा चलने लगी इतनी तेज कि जिन कैंडल से वो पटाखे जला रहे थे वह भी बुझ गई वह हवा देखते ही देखते इतनी तेज हो गई कि जैसे कोई तूफान उन लड़कों की तरफ आ रहा हो उनके लिए वहां खड़े रहना भी मुश्किल हो गया था तभी अचानक से वह हवा रुक गई और वहां बिल्कुल सन्नाटा हो गया ऋषि और जतिन ने एक दूसरे को देखा पर उन्हें ईशान कहीं नहीं दिख रहा था उन्होंने उसे आवाज लगाई पर उन्हें वह कहीं मिल ही नहीं रहा था तभी उन्हें ईशान के दर्द से कहाने की आवाज आई वह आवाज उसी खंडरई मंदिर के अंदर से आ रही थी ऋषि और जतिन दौड़कर वहां पहुंचे तो उस खंडरई शन लेटा हुआ था और उसके पेट पर बड़े-बड़े नाखूनों के निशान थे उसके पेट से बहुत खून बह रहा था ज की नजर मंदिर के अंदर गई तो जो दरवाजा पहले बंद पड़ा था अब पूरी तरह से टूटा हुआ था उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि तभी ईशान की आंखें बंद होने लगी अपने घाव की वजह से वह कुछ बोल भी नहीं पा रहा था और इसलिए उसने घबराई हालत में मंदिर की छत की ओर इशारा किया और जैसे ही जतिन और ऋषि पलटे उनकी रूह ही काप गई मंदिर की छत पर एक दाणे वाला भयानक जीव चिपका हुआ था उसका पूरा शरीर जली हुई चमड़ी जैसा था और उसकी आंखें एकदम सफेद थी जैसे ही ऋषि और जतिन ने उसे देखा वो अजीब तरीके से उन्हें देखकर चीखने लगा वो तीनों बहुत ही बुरी तरह डरे हुए थे ऋषि और जतिन ने ईशान को उठाया और उस मंदिर से बाहर भागे व अजीब सा दण भी उनके पीछे भागता हुआ छत से नीचे आ गया उन तीनों को अपनी मौत नजदीक आते दिख रही थी ईशान को उठाकर भागना बहुत मुश्किल हो गया था और बहुत ज्यादा खून बहने की वजह से इशान अपने होश भी खोने लगा था जैसे तैसे करके वो तीनों उसी रोड पर भागते गए कुछ देर तक भागने के बाद उन्होंने देखा कि वह जीव अब उनके पीछे नहीं था व तीनों और तेज भागे और तभी उनको रोड के ऊपर एक [संगीत] खंडरई तो उनकी स्कूटी वहीं खड़ी थी यह देखकर वह बहुत डर गए क्योंकि इसका मतलब था वह वहीं पर वापस आ गए थे जहां से भागकर वो निकले थे और जो खंडरई खंडरई मंदिर था जहां पर उन्हें वह राक्षस दिखा था उस मंदिर के बंद दरवाजे के अंदर एक छोटा सा कमरा था जहां एक मूर्ति लगी थी और वह मूर्ति किसी और की नहीं बल्कि उसी दण की थी जो उनके पीछे पड़ा था उस मूर्ति के नीचे लिखा था जय खंग देव वो तीनों बेहद डर गए थे उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां पहुंच गए हैं ऋषि ने मदद के लिए अपना फोन निकाला पर उसके फोन में नेटवर्क ही नहीं था उसने उस मंदिर की एक फोटो खींची और इशान को उठाकर वो दोनों स्कूटी के पास ले जाने लगे कि तभी उन्हें अपने पीछे से एक अजीब सी आवाज आई उस दिवाली के दिन के बाद ऋषि जतिन और ईशान कहां गए यह किसी को नहीं पता पुलिस को उस मंदिर के पास से सिर्फ ऋषि का फोन मिला था जिसके अंदर उस खंडरई [संगीत] इसलिए उसे खुश रखने के लिए उसका एक मंदिर बनाया गया था जहां वह उसे हर महीने एक इंसान की बली चढ़ाया करते थे कहा जाता है कि कई ऋषियों ने मिलकर खंग पूर को उसी मंदिर में एक कमरे में कैद कर लिया था पर अब दिवाली के उस पटाखे की वजह से वह दरवाजा खुल चुका था और खंग पूर अब आजाद हो गया था आज भी उस शहर से रात में इंसानों के गायब होने की खबर आती रहती है ना तो उनकी कोई लाश मिलती है और ना ही कोई सबूत पुराने रहने वाले सभी लोगों ने वह इलाका छोड़ दिया है पर वह राक्षस खंग पूर शायद आज भी वहीं उस इलाके में अपनी सालों की भूख मिटाता रहता है